घटना और जांच
नजीब, जो अपने हॉस्टल में एक चुनाव के लिए प्रचार कर रहा था, अपने कमरे में एबीवीपी के कुछ छात्रों से उलझ गया। इस घटना के बाद, उसे अगले दिन विश्वविद्यालय की प्रॉक्टोरियल कमेटी के सामने पेश होना था, लेकिन वह कभी नहीं मिला। उसका मोबाइल और लैपटॉप उसके कमरे में ही रह गए थे।
मामले की जांच पहले दिल्ली पुलिस ने की, लेकिन कोई ठोस प्रगति न होने पर दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर मई 2017 में इसे केंद्रीय जांच ब्यूरो (उइक) को सौंप दिया गया।
परिवार की मांग
नजीब के परिवार, खास तौर पर उसकी मां फातिमा नफीस, ने इस मामले में न्याय के लिए लगातार संघर्ष किया है। परिवार ने आरोप लगाया है कि नजीब को लापता होने से पहले धमकी मिली थी कि "सुबह तुम्हारी लाश मिलेगी।" परिवार ने सीबीआई की जांच पर भी सवाल उठाए हैं, क्योंकि नौ साल बीत जाने के बाद भी इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। परिवार का यह भी कहना है कि सीबीआई नजीब के फोन और लैपटॉप जैसे महत्वपूर्ण सबूतों तक नहीं पहुँच पाई, जो जांच में मददगार हो सकते थे।
अक्टूबर 2018 में, सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की, जिसमें कहा गया कि उन्हें कोई आपराधिक गतिविधि का सबूत नहीं मिला। हालांकि, नजीब के परिवार ने इस रिपोर्ट को चुनौती दी और यह मामला आज भी अनसुलझा है। यह घटना भारत में छात्रों की सुरक्षा और न्याय प्रणाली पर कई सवाल खड़े करती है।
